है बीत गया गणतंत्र प्रिये
कुछ गीत प्रणय के गाते चलें
कुछ हम तुम रुठें एक बार
फिर एक दूजे को मनाते चलें।
ऋतु वासंती छाई[..]
3 फ़रवरी , 2022
है बीत गया गणतंत्र प्रिये
कुछ गीत प्रणय के गाते चलें
कुछ हम तुम रुठें एक बार
फिर एक दूजे को मनाते चलें।
ऋतु वासंती छाई[..]
31 जनवरी , 2022
प्रणय चाँद श्रंगार लिखूँ
या तुमको केवल प्यार लिखूँ,
पतझड़ के सूखे पत्तों पर
चंचल चाह दुलार लिखूँ।
सूखी पलकों की मेड़ों पर
क्या स्नेहिल एहसास[..]